कुछ दिनों पहले मै अक्कलकुवा गया था | यह महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में स्थित एक तालुका या गांव है | नंदुरबार जिला यह प्रमुख रूपसे आदिवासी जिला माना जाता है | भगवान श्रीकृष्णजी के पदस्पर्श से पावन यह भूमि है | अक्कलकुवा एक सीमावर्ती इलाका है जहाँ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात की सीमाए एक दूसरे से भीड़ जाती है | बल्कि नंदुरबार से अक्कलकुवा जाने का २ घंटे का सफर भी गुजरात के निज़र और कुकुरमुंडा से होकर ही जाता है | मुंबई से अक्कलकुवा यह करीब करीब १० से १२ घंटो का सफर है |
यही पर स्थित है, जामिया मिलिया ईशा अतुल उलूम इस संस्था का बहुत ही विशाल सा शिक्षा केंद्र | यहाँ करीब करीब १२,००० विद्यार्थीगण एक साथ खाना खा सकते है | एक तौर पर कहा जाए तो यह एक शिक्षा की विद्यापीठ है और यहाँ एक मेगा किचन (विशाल सा रसोईघर) भी स्थित है | इस की शुरुवात की थी मौलाना गुलाम महंमद वस्तानवी साहब ने जो की आज भारत के मुस्लिम समुदाय के ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश में शिक्षा के क्षेत्र में महर्षि कहलाए जाते है | बहुत ही छोटे स्तर से और अपार कष्ट ले कर आज उन्होंने यह सफलता हासिल की है |
मेरे जाने का प्रयोजन था की मुझे उनके फार्मसी (भेषजी) विद्यालय में एक दिन के कार्यशाला के लिए आमंत्रित किया था | मेरा हमेशा यह प्रयास रहता है की हर एक भाषण की विशेषता होनी चाहिए | क्योंकि अक्कलकुवा में बहुतसे विद्यार्थीगण मुस्लिम मदरसा से पढ़े है, इसलिए मैंने कुरान के कुछ सन्दर्भ दिए थे | इसी दरम्यान मैंने विद्यालय के प्राचार्य डॉ. गुलाम जावेद खान साहाब से पूछा की क्या मुझे कुरान की एक प्रति मिल सकती है? उन्होंने तत्काल हाँ बोलकर मुझे मौलाना गुलाम महंमद वस्तानवी साहब के हाथ से मुझे The Meanings of Noble Qur’an with explanatory notes by Mufti Muhammad Taqui Usmani के कुरान के प्रति मुझे दे दी | यह मेरा सौभाग्य है की मौलाना गुलाम महंमद वस्तानवी साहब के हाथ से यह मुझे प्राप्त हुआ |
मेरा हमेशा यह प्रयत्न रहा है की सभी धर्मो के प्रमाण ग्रंथो का अध्ययन करके उनमे से अच्छी चीजे लोगों को बताए | इसलिए आजका यह प्रयास है |
जानिए पवित्र कुरान क्या है ?
वाही या revelation
पवित्र कुरान का उपदेश मोहम्मद पैगंबर साहब को वाही के माध्यम से दिया गया | कुरान के अनुसार अल्लाह ने इंसान को इस दुनिया में इसलिए भेजा है क्योंकि वह इस दुनिया में कैसे रहता है और वह पवित्र उपहारों को प्रसार कैसे करता है | इस परीक्षा को उत्तीर्ण होने के लिए आपको यथायोग्य ज्ञान प्राप्त करना होगा | पांच ज्ञानेन्द्रियों के अलावा विवेक से काम लेना होगा जो आपको वाही के रूप में अल्लाह ने प्रदान किया है | अल्लाह ने वाही प्रदान करने के लिए कुछ अच्छे लोगों का जरिया बनाकर यह ज्ञान प्रदान किया है | सभी पैगंबर (प्रोफेट) जो आदम से लेकर आखरी पैगंबर सैय्यदना मुहम्मद तक है, उन्होंने यही काम किया है |
वाही को पवित्र पैगंबर को कैसे दिया गया ?
पवित्र मुहम्मद पैगंबरजी को वाही का ज्ञान हिरा के गुफाओं में ४० साल के उम्र में पहली बार प्रदान किया गया | यह हिरा की गुफा आज मक्का का एक हिस्सा है और उसे जबल उन नूर (प्रकाश का परबत) कहा जाता है | इसी दरम्यान एक फरिश्ता (angel) जिसका नाम जिब्राइल था उसने आकर रमजान के महीने में पहले पांच सुराह (जिसे सुराह अल अलक़ कहा जाता है ) (Chapters) पैगंबर को बताया | यह एक शुरुवात थी | अगले २३ सालों तक यही ज्ञान वाही के रूप में इसी माध्यम से पवित्र पैगंबर को प्राप्त हुआ |
मक्की और मदानी सुराह
सुराह का मतलब है कुरान ग्रन्थ के एक एक प्रकरण | हर एक सुराह को शीर्षक है जो उस सुराह के शब्दों में से लिया गया है | पवित्र पैगंबर मुहम्मद साहब उनको पहली वाही प्राप्त होने के बाद १३ वर्षों तक मक्का में रहे और फिर उन्होंने मदीना को प्रस्तान किया, जहा वो १० सालो तक रहे | यही प्रस्थान को हिजरा (migration) कहा जाता है | प्रस्थान के पहले लिखी हुई कुरान के सुराह को मक्की कहा जाता है और मदीना में लिखी हुई सुराह को मदानी कहा जाता है |
मक्की सुराह में विश्वास और उसके सबुत जो पूरी दुनिया में फैले हुए है, आस्था और पद्धति, पहले के पैगंबरो की कहानिया, जन्नह (जन्नत) और जहन्नम (नर्क) इनका जिक्र किया गया है | मदानी सुराहो में ज्यू और ईसाईओके साथ झगड़े, और जिहाद के नियम दिए गए है | इसके अलावा सामाजिक, आर्थिक और राजकीय जीवन के नियम भी पाए जाते है |
पवित्र कुरान को कैसे संरक्षित किया गया ?
जैसे की पहले बताया है की पवित्र कुरान एक ही समय में पूर्ण रूपसे किसी ग्रन्थ के जैसा नहीं भेजा गया | यह एक २३ सालों तक चलती रही प्रक्रिया थी | पवित्र पैगंबरजी को जैसे ही उपदेश प्राप्त होता था वह वो उनके शिष्य साहबाओ को (साहबा याने स्त्री शिष्य) बताया और उन्होंने कुरान को पहली बार लिखित स्वरूप दिया | उस ज़माने में कागज की कमी होने के कारण पाम पेड़ के पत्तोंपर, या हड्डियां और प्राणीओं के खाल पर वह लिखा गया | पैगंबर साहब ने साहबाओंको कुरान का पठन और मनन कैसे करते है यह सिखाया | इसी शिक्षा के आधार पर एक अलग से विज्ञान की रचना हुई जिसे “ तजवीद और किरात ” का विज्ञान कहा जाता है | कुरान के सत्य और बराबर रूप में विवेचन के लिए भी एक विज्ञान की रचना हुई जिसे “ तफ़सीर” का विज्ञान कहा जाता है | पैगंबर मुहम्मद जी के निधन ख़लीफ़ा अबु बक़र ने एक समिति का गठन किया, जिसके सहाबी (सहाबी जो पुरुष शिष्य होते है) ज़ाएद इब्न थबित प्रमुख थे, उन्होंने पूर्ण ग्रन्थ के रूप में कुरान को प्रसिद्ध किया |
पवित्र कुरान के विभाग
आज की तारीख में पवित्र कुरान को ३० हिस्सों में विभाजित किया जाता है जो की एक जैसे आकार के है | इन्हे अजज़ा (अरेबिक में ) या पाराह (उर्दू या पर्शियन में) कहा जाता है | यह विभाजन विषयों के या अर्थ के हिसाब से आधारित नहीं है |
कुछ मुस्लिम देशों में जैसे की भारतीय उपखण्ड और पाकिस्तान में रुकू (sections) के तौर पर पढ़ा जाता है | इसमें हर एक अनुच्छेद के बाद एक अरेबिक चिन्ह रहता है | इन चिन्हो का मतलब है की हर एक रुकू के बाद आपको अल्लाह ताला के सामने सिर झुकाना है |
कही कहीं तो यह चलन है की रमजान के पवित्र महीने में कुरान के रुकू हर रोज रात को पढ़कर सभी ५४० रुकू रमजान के २७ दिनों में पूर्ण होते है |
कुछ लोग हिज्ब या मंज़िल के हिसाब से भी कुरान को पढ़ते है | यह पद्धति का फायदा यह है की इसमें पवित्र कुरान का कुछ हिस्सा जो विशेष रूपसे रोज पढ़ा जाता है | कुछ बुजुर्गो ने सात हिज़्बो में पवित्र कुरान का विभाजन किया जिसके कारण एक हफ्ते में पुरा कुरान पढ़ा जाता है | कुछ लोगों ने एक महीने में पठन हो जाए ऐसा भी विभाजन किया है | सऊदी अरेबिया जैसे देशों में हर रोज का पठन एक हिस्से के आधे तक ही सीमित किया गया है, जिसके कारण पूरा कुरान पठन ६० दिनों में हो सके |
अभी तक इतना ही ! विश्राम करता हूँ | आपके अभिप्राय मुझे भेजना मत भूलिए !
Sallalahu Alaihi Wa Sallam !
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